लॉकडाउन ने सुधार दी उत्तर प्रदेश के पर्यावरण की सेहत

लॉकडाउन से जब कल-कारखानों से लेकर वाहनों तक से उत्सर्जित होने वाले धुएं पर भी ताला लग गया तो प्रदेश के पर्यावरण की सेहत एकदम से सुधारने लगी।सूर्योदय के साथ ही बिना किसी अवरोध के धूप की किरणें गेहूं की बालियों को सुखाने लगी। कई 100 मील पर्वत भी नंगी आंखों से स्पष्ट दिखने लगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि 24 घंटे जहरीली धुआं उगलने वाली फैक्ट्रियों की चिमनियां बंद पड़ी हैं और सड़कों पर दिन रात दौड़ने वाले करोड़ों वाहनों के पहिए जाम पड़े हैं। इससे प्रदेश का पर्यावरण कुछ यूरोपीय देशों की भांति शुद्ध हो गया है।



उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश के कई ऐसे शहर हैं जहां लॉकडाउन से पूर्व फैक्ट्री एवं वाहनों से होने वाले प्रदूषण के कारण दम घोटू स्थिति थी लेकिन लॉकडाउन शुरू होने के बाद मतलब 24 मार्च से 4 अप्रैल तक के आंकड़े बताते हैं की इन शहरों की स्थिति दिन प्रतिदिन बेहतर और उससे भी बेहतर होती जा रही है। पर्यावरणविदों की माने तो अगले 8 दिन और चलने वाले इस लॉकडाउन के कारण प्रदेश के कई शहरों की हवा की शुद्धता स्विट्जरलैंड के समान पहुंच जाएगी।


प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जेपीएस राठौर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। वे कहते हैं कि विकास मानव जीवन के लिए जरूरी है लेकिन विकास की आड़ में जिस प्रकार से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है उस पर अब गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।



प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जेपीएस राठौर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। वे कहते हैं कि विकास मानव जीवन के लिए जरूरी है लेकिन विकास की आड़ में जिस प्रकार से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है उस पर अब गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।


बकौल श्री राठौर, पूरी दुनिया में इस समय पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए काम शुरू हुए हैं लेकिन आबादी की मांग के सामने यह सारे प्रयास बौने साबित हो रहे हैं। यह महज एक संयोग ही है कि कोरोना वायरस के कारण जहरीली धुआं उगलने वाली फैक्ट्रियां और वाहनों का संचालन बंद है जिससे पर्यावरण शुद्ध और स्वच्छ हुआ है और लोगों को पश्चिम बंगाल के रायगंज से 250 किलोमीटर दूर कंचनजंगा की पर्वत श्रृंखला एवं जालंधर की सड़कों से हिमाचल की पहाड़ियां भी नंगी आंखों से स्पष्ट दिख रहा है।